माफिया से नेता बने गैंगस्टर मुख्तार अंसारी की कार्डियक अरेस्ट से मौत हो गई. मुख्तार की मौत के बाद पूरे यूपी में अलर्ट जारी कियागया है। कई जिलों में धारा 144 लागू कर दी गई है। अंसारी करीब 19 साल से जेल में बंद था. मुख्तार के खिलाफ 65 केस दर्ज हैं. इनमें हत्या, हत्या के प्रयास, अपहरण, धोखाधड़ी, गुंडा एक्ट, आर्म्स एक्ट, गैंगस्टर एक्ट, सीएलए एक्ट से लेकर एनएसए तक शामिलहै. इनमें से उसे 8 मामलों में सजा हो चुकी थी. 21 केस विचाराधीन हैं. . सिर्फ मुख्तार ही नहीं, उसके परिवार के सदस्यों पर भी कानूनका शिकंजा कसा गया है. आज के इस विडियो में हम मुख्तार अंसारी और उसकी पूरे परिवार की कहानी जानेगे कैसे पूरी फैमली जुर्मकी दुनिया में अपनी हैवानियत से दहशत फहलायी और फिर उस जुर्म की दुनिया का अंत हुआ …
उत्तर प्रदेश के हिस्से में कभी माफिया मुख्तार अंसारी ने अपनी दहशत फहलायी थी। गाजीपुर, मऊ, वाराणसी समेत कई जिलों मेंउसका असर होता था…. वहीं दिल के दौरे पड़ने से बांद्रा जेल में बंद मुख्तार अंसारी का निधन हो गया। इसके साथ ही दशकों तकमाफिया चलाने वाले मुख्तार अंसारी भी अतीत हो गए। मुख्तार अंसारी के परिवार का गाजीपुर में दबदबा रहा है …उसका भाई अफजालअंसारी भी सांसद बना … लेकिन बीते साल 15 अप्रैल को पूर्व सांसद और माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ कीप्रयागराज में गोलियां मारकर हत्या कर दी गई थी।
यह हत्या सरेआम मीडिया के कैमरों के सामने हुई थी और दर्जनों पुलिसवालों की सुरक्षा में तब हुई, जब दोनों माफिया भाइयों कोमेडिकल के लिए लाया गया था। अतीक अहमद की तो सरेआम हत्या हुई थी।
वहीं मुख्तार अंसारी की मौत के बाद ये सवाल उठ रहा है कि उसकी पत्नी अफशां अंसारी सामने आएंगी या नहीं? यूपी पुलिस के लिएअफशां अंसारी की गिरफ्तारी चुनौती बनी हुई है. क्योंकि अफशां अंसारी पर कुल 11 केस दर्ज हैं.
परिवार पर दर्ज हैं 101 केस
मुख्तार अंसारी समेत उसके परिवार पर 101 केस दर्ज हैं. उसके भाई अफजाल अंसारी पर 7 मामले, भाई सिगबतुल्लाह अंसारी पर 3 केस, बेटे अब्बास अंसारी पर 8 तो छोटे बेटे उमर अंसारी पर 6 केस दर्ज हैं. मुख्तार अंसारी की बहू निखत पर 1 मुकदमा दर्ज है…वहींमुख्तार की पत्नी अफशां पर गाजीपुर कोतवाल, मुहम्मदाबाद कोतवाली, नंदगंज, मऊ लखनऊ में भी कई आपराधिक मामले दर्ज हैं. अफशां पर गजल होटल लैंड डील के अलावा नंदगंज में सरकारी जमीन को कब्जा करने का आरोप है. पुलिस रिकॉर्ड में अफशां अंसारीIS-191 गैंग की सदस्य के तौर पर चिह्नित हैं.
’15 साल की उम्र में अपराध की दुनिया में आया’
मुख्तार अंसारी का 1963 में एक प्रभावशाली परिवार में जन्म हुआ …उसने बहुत ही छोटी उम्र में अपराध की दुनिया में कदम रख दियाऔर खुद का गिरोह खड़ा किया. ये बात साल 1978 की थी .. तब अंसारी सिर्फ 15 साल का था. कानून के साथ उसका पहला बारसामना तब हुआ, जब उस पर गाजीपुर के सैदपुर थाने में आपराधिक धमकी की एफआईआर दर्ज करवाई गई…उसने सरकारी ठेकों परकब्जा जमाना शुरू किया. चंद समय में माफिया के रूप में पहचान बना ली .
‘अपराध से राजनीति में एंट्री की’
‘जेल में रहकर तीन बार चुनाव जीता’
मुख्तार अंसारी ने उत्तर प्रदेश में अपराध के बाद राजनीति की दुनिया में कदम रखा. उसका बढ़ता आपराधिक ग्राफ राजनीति में एंट्रीपाने में बाधा नहीं बन सका. मुख्तार अंसारी पहली बार 1996 में मऊ से बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर विधायक चुने गए. उसने2002 और 2007 के विधानसभा चुनावों में निर्दलीय चुनाव लड़ा और इसी सीट पर जीत हासिल की. 2012 में उसने कौमी एकता दललॉन्च किया और मऊ से फिर से जीत हासिल की. 2017 में वो फिर से मऊ से जीता. 2022 में उसने अपने बेटे अब्बास अंसारी के लिएसीट खाली कर दी. अब्बास ने इस सीट पर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के टिकट पर जीत हासिल की. सुभासपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर हैं और इस समय वो यूपी सरकार में मंत्री हैं. 2022 के चुनाव के वक्त राजभर और सपा ने अलायंस में चुनाव लड़ा था. मुख्तार 2005 से जेल में है और उसने 2007, 2012 और 2017 का चुनाव जेल में रहकर ही जीता.
‘दो बार उम्रकैद की सजा मिली’
मुख्तार को हाल ही में करीब 37 साल पुराने केस में सजा सुनाई गई थी. उसे फर्जी तरीके से हथियार का लाइसेंस हासिल करने कादोषी पाया गया था. इस केस में एमपी-एमएलए कोर्ट ने अंसारी को आजीवन कारावास और 2.02 लाख रुपये के जुर्माने की सजासुनाई थी. पिछले 18 महीनों में यूपी की अलग-अलग अदालतों द्वारा यह आठवां मामला था, जिसमें मुख्तार को सजा सुनाई गई औरदूसरी बार उसे आजीवन कारावास की सजा मिली थी.
इससे पहले 15 दिसंबर, 2023 को वाराणसी की एमपी/एमएलए कोर्ट ने मुख्तार को सजा सुनाई थी. मुख्तार को बीजेपी नेता औरकोयला व्यापारी नंद किशोर रूंगटा के 22 जनवरी 1997 को अपहरण और हत्या से जुड़े मामले में पांच साल और छह महीने की सजामिली थी. 27 अक्टूबर 2023 को गाजीपुर एमपी/एमएलए कोर्ट ने 2010 में उसके खिलाफ दर्ज गैंगस्टर एक्ट के मामले में 10 साल केकठोर कारावास और 5 लाख के जुर्माने की सजा सुनाई थी.
अपराध चाहे कितना ही बड़ा क्यों ना हो जाये एक ना एक दिन उसका अंत हो ही जाता हैं। जुर्म की उम्र कभी लंबी नहीं होती ……. एकना एक दिन उसका अंत होता ही हैं। और इन जैसे लोगों को उसका परिणाम भुगतान ही पड़ता हैं। इनके साथ देने वाली का भी यहीअंजाम हुआ। बुराई चाहे कितनी भी बड़ी हो अच्छाई के सामने उसका क़द हमेशा छोटा ही रहता हैं। दशकों तक माफिया राज चलानेवाले मुख्तार अंसारी भी अतीत हो गया है ….अब देखना वाली बात होगी पुलिस इस अपराधी के परिवार के बाकि अपराधियों को पकड़पाती है या नहीं