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February 14, 2024फ़ैक्ट्रीयों से होने वाले प्रदूषण और निकलने वाले ज़हरीले पानी को लेकर सरकार चिंचित हैं और पर्यावरण और जीवजंतु की रक्षा को लेकर बनाये गये नियमों की पालना करवाने के लिए भी कटिबद्ध हैं। एनएससी9 न्यूज़ ने इस खबर को पिछले दिनों प्रमुखता से उठाया था कि फ़ैक्ट्रीयों से होने वाले प्रदूषण और पानी को उपयोग में लेने के बाद जब वो प्रदूषित हो जाता हैं तब उस प्रदूषित पानी को यूही बहा दिया जाता हैं जिससे वन्यजीव और वातावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता हैं। फ़ैक्ट्रीयों से निकलने वाला ये अपशिष्ट और प्रदूषित पानी अरावली के वन क्षेत्रों में बहा दिया जाता हैं जिससे उस गंदे पानी को वन क्षेत्र में वन्यजीव पीकर मर रहे हैं। अब सरकार ने ऐसी औद्योगिक इकाइयों को सख़्त आदेश देते हुए नियमों की पालना करने के निर्देश दिये हैं। मुख्यसचिव ने निर्देश दिये कि आवश्यकतानुसार छोटे एसटीपी की सम्भावना और पालना सुनिश्चित की जाये जिससे शोधित जल का उपयोग स्थानीय स्तर पर हो सके और औद्योगिक इकाईयो के दूषित जल का निकास सीईटीपी कन्ड्यूट सुनिश्चित किया जाकर अन्य निकास बन्द कराए जाए।
राजस्थान के मुख्य सचिव सुधांश पंत ने निर्देश दिये कि भिवाड़ी क्षेत्र में उपचारित औद्योगिक जल एवं सीवेज को प्राथमिकता से पुनः उपयोग में लेने के पश्चात अतिरिक्त जल को जलाशयों में छोड़ा जाना सुनिश्चित किया जाये। पंत मंगलवार को शासन सचिवालय में राष्ट्रीय राजमार्ग—48 पर धारूहेड़ा के पास जल भराव स्थिति की समीक्षा एवं समस्या के समाधान के लिए आयोजित एक उच्च स्तरीय बैठक की समीक्षा कर रहे थे।
मुख्य सचिव पंत ने निर्देश दिए कि घरेलू शोधित जल का उपयोग बागवानी, कृषि कार्यों, सड़कों पर छिड़काव एवं भवन निर्माण आदि में करना सुनिश्चित किया जाये। उन्होंने कहा कि भिवाड़ी नगर परिषद, द्वारा सीवर लाईन एवं घरेलू कनेक्शन से सम्बन्धित कार्य तुरन्त पूर्ण किया जाये। मुख्यसचिव सुधांशु पंत ने कहा कि औद्योगिक इकाईयों द्वारा सीईटीपी उपचारित जल का उपयोग सुनिश्चित किया जाये, इसके लिए उद्योगों से एमओयू किए जाने पर भी विचार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि औद्योगिक इकाईयों द्वारा भूमिगत जल निकासी बन्द कर सीईटीपी उपचारित जल का उपयोग सुनिश्चित किया जाये तथा भिवाड़ी के ड्रेनेज सिस्टम की सफाई एवं क्षमता विस्तार का कार्य आगामी मानसून से पूर्व समयबद्ध तरीके से पूर्ण किया जाए।
बैठक के प्रारम्भ में उद्योग एवं वाणिज्य विभाग के प्रमुख शासन सचिव अजिताभ शर्मा द्वारा जयपुर, भिवाड़ी एवं इसके आसपास के क्षेत्र में जलभराव की समस्या के कारणों, वर्तमान में व्याप्त दूषित जल तथा शहरी सीवेज उपचार के संसाधनों आदि के सम्बन्ध में जानकारी देते हुए बताया कि जयपुर और भिवाड़ी क्षेत्र की जल समस्या का प्रमुख कारण औद्योगिक व शहरी विकास की वजह से दूषित पानी का अत्यधिक एकत्रीकरण तथा इस जल के उपचार पश्चात् शोषित जल में औद्योगिक इकाईयों एवं घरों का दूषित जल पुनः मिल जाना है। इसके लिए भिवाड़ी क्षेत्र में औद्योगिक इकाईयों एवं घरों से निकलने वाले दूषित जल के शोधन हेतु संचालित सीईटीपी एवं एसटीपी को आदर्श रूप से संचालित करने की आवश्यकता है।
नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन विभाग के प्रमुख शासन सचिव टी. रविकान्त ने अवगत कराया कि भिवाड़ी नगर परिषद द्वारा वर्तमान में घरेलू दूषित पानी के शोधन हेतु 9.5 एमएलडी क्षमता के 4 एसटीपी संचालित किये जा रहे हैं, जिनके द्वारा प्रतिदिन 7 एमएलडी से अधिक दूषित पानी का शोधन किया जा रहा है। अमृत-2 योजना के अन्तर्गत नगर परिषद्, भिवाड़ी द्वारा 34 एमएलबी क्षमता का नया एसटीपी लगाया जाना प्रक्रियाधीन है।
एनएससी9 न्यूज़ सरकार के इस कदम का स्वागत करते हुए इस संवेदनशीलता के धन्यवाद देता हैं। वन एवं पर्यावरण की रक्षा और वन्य जीव जंतुओं के प्रति सदाचार रखते हुए ऐसे कदम उठाये जाने नितांत आवश्यक हैं। एनएससी9 न्यूज़ भविष्य में भी ऐसे जनहित के मुद्दों को प्रमुखता से उठाकर सरकार के सामने रखेगा।