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संवेदना की स्याही और बारूद की कलम से

डॉ डीपी शर्मा, प्रोफेसर एवं डिजिटल डिप्लोमेसी विशेषज्ञ

प्रधानमंत्री मोदी की सिर कटी हुई तस्वीर – घृणा, अनैतिक आचरण और संवैधानिक अनादर का एक नया निम्न स्तर

लोकतांत्रिक मानदंडों और मानवीय शालीनता से एक खतरनाक प्रस्थान में, देश की सबसे पुरानी और सबसे चर्चित राजनीतिक पार्टियों में से एक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने अपने आधिकारिक एक्स (पूर्व में ट्विटर) हैंडल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सिर कटी हुई तस्वीर पोस्ट की। यह कृत्य केवल निर्णय में चूक या दुर्भाग्यपूर्ण गलती नहीं है। यह घृणा की पराकाष्ठा है, एक अनैतिक, गैरकानूनी और असभ्य राजनीतिक हमला है जो पार्टी की जिम्मेदारी की भावना और संवैधानिक मूल्यों के प्रति उसके सम्मान के बारे में गंभीर सवाल उठाता है।  ये किसी ने सोचा भी न होगा कि सौ साल से अधिक पुरानी कोंग्रेस का यह थका हुआ काफिला अधपतन के मार्ग से फिलसलते हुए एक ऐसी दलदल में जा फँसेगा जहाँ दबे दबे पनपते रहे अलोकतांत्रिक महारोग पार्टी की सम्पूर्ण काया को संग्दिग्ध रूप से सड़ांध में परिवर्तित कर देंगे/

राजनीतिक हथियार के रूप में घृणा : राजनीतिक प्रतिस्पर्धा लोकतंत्र का सार है। एक कार्यशील गणतंत्र में जोरदार विरोध, आलोचना और सार्वजनिक बहस अपेक्षित है – यहाँ तक कि आवश्यक भी। लेकिन जब यह प्रतियोगिता प्रतीकात्मक हिंसा की दृश्य अभिव्यक्तियों में बदल जाती है, तो यह लोकतंत्र के बारे में नहीं रह जाती है और नफरत फैलाने का एक साधन बन जाती है। पार्टी के आधिकारिक चैनल द्वारा पोस्ट की गई प्रधानमंत्री की सिर कटी हुई तस्वीर व्यंग्य नहीं है, विरोध नहीं है, अभिव्यक्ति नहीं है – यह घृणा का सबसे भयावह दृश्य रूप है। नीतियों पर सवाल उठाना, शासन को चुनौती देना या विचारधारा का सामना करना एक बात है। लोकतांत्रिक रूप से चुने गए नेता को रूपक या शाब्दिक रूप से शारीरिक नुकसान पहुंचाने वाली छवियों का सहारा लेना पूरी तरह से दूसरी बात है। इस तरह की हरकतें दुश्मनी को बढ़ावा देती हैं, अशांति को भड़काती हैं और नागरिक समाज के मूल्यों को नष्ट करती हैं। नैतिक और नैतिक पतन नैतिक दृष्टिकोण से, यह कृत्य राजनीतिक संचार के नैतिक दायरे में सबसे निचले स्तर को दर्शाता है। कांग्रेस पार्टी, जिसका इतिहास स्वतंत्रता संग्राम से लेकर नेहरू, पटेल और गांधी जैसे दिग्गजों के नेतृत्व तक फैला हुआ है, से उम्मीद की जाती है कि वह मानक स्थापित करेगी – उन्हें नष्ट नहीं करेगी। राजनीति युद्ध नहीं है। विरोधी दुश्मन नहीं है। और नेतृत्व – चाहे कितना भी विवादास्पद क्यों न हो – का सामना तर्क से किया जाना चाहिए, क्रोध से नहीं। जब राजनीतिक संस्थाएँ इस तरह के असभ्य कृत्यों का सहारा लेती हैं, तो वे न केवल अपनी विश्वसनीयता को नुकसान पहुँचाती हैं, बल्कि सार्वजनिक चर्चा को भी खराब करती हैं, जिससे नागरिक अधिक विभाजित, चिंतित और सनकी हो जाते हैं।

अवैध और कानूनी रूप से निंदनीय: ये सिर कटी फोटो कहीं  प्रधानमंत्री की हत्या का सुनियोजित षड़यंत्र और उसका  संकेत तो नहीं ?  भारतीय कानून ऐसे मामलों पर चुप नहीं रह सकता/ भारतीय दंड संहिता, धारा 153A (शत्रुता को बढ़ावा देना), 295A (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाना) और 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करना) जैसे प्रावधानों के माध्यम से हिंसा भड़काने या बदनाम करने वाली कार्रवाइयों को संबोधित करने के लिए रूपरेखा प्रदान करती है। सत्यापित, आधिकारिक राजनीतिक हैंडल पर पोस्ट की गई प्रतीकात्मक रूप से हिंसक सामग्री भी चुनाव आचरण नियमों और सोशल मीडिया विनियमों के विरुद्ध हो सकती है, खासकर जब यह सार्वजनिक व्यवस्था को विकृत करती है।

न्यापालिका, चुनाव आयोग, पुलिस तंत्र, कानून प्रवर्तन एजेंसियों को ध्यान देना चाहिए – न केवल पोस्ट के लक्ष्य के कारण, बल्कि इससे जो खतरनाक मिसाल कायम होती है, उसके कारण भी, कि आखिर हम किधर जा रहे हैं/ अगर इस पर लगाम नहीं लगाई गई, तो इस तरह की इमेजरी जल्द ही एक राजनीतिक चलन बन सकती है, जो जनसंचार के माध्यम के रूप में नफरत को सामान्य बना देगी।

संवैधानिक गरिमा पर हमला: सबसे बढ़कर, भारत के प्रधानमंत्री – चाहे कोई भी पद पर हो – 1.4 बिलियन लोगों की संप्रभु इच्छा का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह किसी का व्यक्तिगत अपमान नहीं है वल्कि, पूरे लोकतंत्र 1.4  बिलियन भारतीयों का अपमान है क्योंकि ऐसा नहीं कि जिन्होंने प्रधानमंत्री की विचारधारा और उनके एजेंडे को वोट नहीं दिया, प्रधानमंत्री उनके प्रधानमंत्री नहीं है/ प्रधानमंत्री देश का होता है, न कि किसी दल का/ प्रधानमंत्री पूर्व हो या वर्तमान, उसके निर्णय किसी को स्वीकार्य हों या नहीं, फिर भी उसकी फोटो इस प्रकार की असभ्यता से नहीं लगाई जा सकती/ सरकार के मुखिया को इस तरह की क्रूर छवि में चित्रित करना न केवल व्यक्ति की बल्कि पद की गरिमा को भी चुनौती देना है। यह संविधान और लोकतांत्रिक प्रक्रिया का सीधा अपमान है जिसके माध्यम से सत्ता प्रदान की जाती है।

भारत जैसे विशाल और विविधतापूर्ण राष्ट्र में, सम्मानजनक असहमति और जवाबदेह नेतृत्व की आवश्यकता सर्वोपरि है। हिंसक प्रतीकात्मकता के साथ इसे कमज़ोर करना गणतंत्र की नींव को कमज़ोर करना है।

जवाबदेही और आत्मनिरीक्षण का समय: कांग्रेस पार्टी को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। औपचारिक माफ़ी की सिर्फ़ अपेक्षा ही नहीं की जाती – यह ज़रूरी भी है। पद की स्पष्ट रूप से निंदा की जानी चाहिए, ज़िम्मेदार व्यक्तियों की पहचान की जानी चाहिए और अनुशासनात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए। चुप्पी या ध्यान भटकाना केवल एक अपमानजनक कृत्य की मौन स्वीकृति का संकेत होगा।

जब तक इसके पालनकर्ता शिष्टाचार और बुनियादी मानवता को त्याग देते हैं, तब तक लोकतंत्र जीवित नहीं रह सकता। अगर राजनीतिक दल- जो हमारी लोकतांत्रिक मशीनरी के इंजन हैं- नफरत की इस हद तक गिर जाएंगे, तो इससे सिर्फ एक व्यक्ति या पार्टी को ही नुकसान नहीं होगा, बल्कि राष्ट्र की आत्मा को भी नुकसान होगा।

इस पल को एक चेतावनी के रूप में लें: नफरत को सामान्य नहीं बनाया जा सकता, राजनीति की गर्मी में भी नहीं। और संवैधानिक पदों की गरिमा को कभी भी पक्षपात की वेदी पर बलिदान नहीं किया जाना/ अनैतिक, अमानवीय, और असंवैधानिक तरीके से सत्ता की भूख और राजनैतिक पागलपन इतना पागल नहीं हो सकता?

एआई और भारत की श्रमशक्ति: नवाचार से हो भविष्य निर्माण

डॉ. डी.पी. शर्मा

परामर्शदाता, ILO (संयुक्त राष्ट्र की एक इकाई) एवं डिजिटल डिप्लोमैट

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) अब कोई दूर का भविष्य नहीं है—यह आज भारत के श्रम बाजार की वास्तविकता बन चुकी है। यह तकनीक एक तरफ जहाँ देश के विकास की रफ्तार को नई ऊँचाई दे रही है, वहीं दूसरी ओर यह पारंपरिक नौकरियों और असंगठित क्षेत्र की आजीविका के सामने गंभीर संकट भी उत्पन्न कर रही है।

आज आवश्यकता इस बात की है कि हम एआई को केवल एक तकनीकी चमत्कार न मानें, बल्कि इसे सामाजिक और आर्थिक दृष्टिकोण से गहराई से देखें। क्या यह प्रगति का पहिया कहीं ऐसे धुएं तो नहीं छोड़ रहा जो भविष्य की नौकरियों को बुझा सकता है?

एआई और रोजगार का द्वंद्व

भारत का श्रम बाजार, जो बड़े पैमाने पर असंगठित क्षेत्र पर आधारित है, एआई-संचालित स्वचालन के प्रति अत्यंत संवेदनशील है। विश्व आर्थिक मंच की 2023 की रिपोर्ट बताती है कि भारत में 2027 तक 6.9 करोड़ नौकरियाँ—विशेष रूप से मैन्युफैक्चरिंग, डेटा एंट्री और ग्राहक सेवा में—प्रभावित हो सकती हैं। आईटी और बीपीओ क्षेत्रों में लगभग 30% पारंपरिक नौकरियाँ ऑटोमेशन के खतरे में हैं।

वहीं दूसरी ओर, एआई की बदौलत डेटा एनालिटिक्स, साइबर सुरक्षा, ग्रीन एनर्जी और हेल्थटेक जैसे क्षेत्रों में 9.7 करोड़ नई भूमिकाओं का उदय हो सकता है। प्रश्न यह है: क्या भारत का श्रमबल इस बदलाव के लिए तैयार है?

सरकारी प्रयासों की दिशा और दायरा

भारत सरकार ने कुछ सराहनीय पहल की हैं:

  • राष्ट्रीय एआई रणनीति (2018) – स्वास्थ्य, कृषि और शिक्षा में एआई के अनुप्रयोग को बढ़ावा देने हेतु।
  • कौशल भारत मिशन और पीएमकेवीवाई – लाखों युवाओं को एआई, IoT और रोबोटिक्स में प्रशिक्षित करने का लक्ष्य।
  • फ्यूचर स्किल्स प्राइम – आईटी सेक्टर में री-स्किलिंग के लिए प्लेटफ़ॉर्म।
  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति (2020) – स्कूल स्तर पर प्रोग्रामिंग और एआई को पाठ्यक्रम में शामिल करना।

हालाँकि ये पहलें सकारात्मक हैं, लेकिन इनका प्रभाव अब तक शहरी, औपचारिक और तकनीकी रूप से सक्षम वर्ग तक ही सीमित रहा है। ग्रामीण और असंगठित क्षेत्र के श्रमिक, जो देश की श्रमशक्ति का 83% हैं, इन पहलों से लगभग वंचित हैं।

निजी क्षेत्र बनाम सरकारी संरक्षण

भारत में सरकारी नौकरियों का आकर्षण इतना प्रबल है कि यह निजी क्षेत्र के श्रमिकों की उपेक्षा कर देता है। हर वेतन आयोग के बाद महंगाई बढ़ती है, लेकिन उसका सबसे ज्यादा असर किसान, मजदूर और असंगठित श्रमिकों पर होता है। यह असंतुलन न केवल सामाजिक असमानता को बढ़ाता है, बल्कि देश के विकास को सीमित भी करता है।

सरकार को यह समझना होगा कि देश के श्रमजीवी सिर्फ सरकारी कर्मचारी नहीं होते—प्राइवेट सेक्टर का हर कर्मचारी, मजदूर और किसान भी उतना ही मूल्यवान है। एआई के युग में उन्हें संपदा (asset) के रूप में देखना होगा, न कि बोझ (liability) के रूप में।

ILO का श्रमिककेंद्रित दृष्टिकोण

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) श्रमिकों की सुरक्षा के लिए एक मानव-केंद्रित एआई दृष्टिकोण अपनाता है:

  • सार्वभौमिक श्रम गारंटी (उचित वेतन, सामाजिक सुरक्षा)
  • आजीवन सीखने के माध्यम से तकनीकी बदलावों में अनुकूलन
  • नैतिक एआई दिशानिर्देश, जो श्रमिक शोषण को रोकते हैं

भारत में, ILO द्वारा समर्थित कार्यक्रम जैसे गिग वर्कर सुरक्षा और स्किल ट्रेनिंग की पहलें सराहनीय हैं, लेकिन ये अक्सर भारत की व्यापार-प्रधान नीति से टकराती हैं। सरकार को चाहिए कि वह इस अंतर को पाटे और नीति में ऐसे बदलाव करे जिससे श्रमिक हितों की रक्षा हो सके।

सार्वजनिकनिजी साझेदारी की आवश्यकता

एआई से उत्पन्न अवसरों का लाभ तभी उठाया जा सकता है जब उद्योग और सरकार मिलकर दीर्घकालिक और स्थायी नौकरियाँ सृजित करें। इसके लिए भारत को ILO के नैतिक AI ढांचे को अपनी राष्ट्रीय नीति में एकीकृत करना चाहिए।

निष्कर्ष: विकल्प हमारे हाथ में है

AI को रोका नहीं जा सकता, लेकिन इसके सामाजिक प्रभावों को नियंत्रित किया जा सकता है। भारत के पास अब दो रास्ते हैं:

  1. अनुकूलन, पुनः कौशल और श्रमिक सुरक्षा को प्राथमिकता देकर एक समावेशी, न्यायसंगत भविष्य की ओर बढ़े
  2. या फिर असमानता, बेरोजगारी और सामाजिक असंतोष से ग्रस्त एक खंडित श्रम बाजार की ओर चले जाए

अभी कार्रवाई करने का समय है। श्रमिकों को डराने के बजाय उन्हें सशक्त बनाएं। तभी भारत एआई के इस नए युग में सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास का वास्तविक अर्थ सिद्ध कर पाएगा।


आलिया भट्ट के ब्रांड ‘एड-अ-माम्मा’ का बेंगलुरु में पहला स्टोर लॉन्च

बेंगलुरु, 30 अप्रैल 2025: फिल्म अभिनेत्री आलिया भट्ट द्वारा प्रमोटेड, बच्चों और माताओं के लिए कपड़े और लाइफस्टाइल प्रोडक्ट बनाने वाले ब्रांड ‘एड-अ-माम्मा’ ने बेंगलुरु में अपना पहला स्टैंडअलोन स्टोर खोला है। दक्षिण भारत में ब्रांड का यह पहला स्टोर है पर देश भर में इसके अब तक चार स्टोर खुल चुके हैं। रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड के साथ साझेदारी में यह स्टोर खोले गए हैं। 2023 में रिलायंस रिटेल और एड-अ-माम्मा के बीच रणनीतिक करार हुआ था

ब्रांड की संस्थापक आलिया भट्ट ने कहा, “बेंगलुरु में ‘एड-अ-माम्मा’ का पहला ऑफलाइन स्टोर हमारे ब्रांड के लिए एक मील का पत्थर है। रिलायंस के साथ साझेदारी में हमने अपने ब्रांड के तहत कपड़े, किताबें, खिलौनों के संग बहुत से प्रोडक्ट शामिल किए हैं।”

बेंगलुरु स्थित मॉल ऑफ एशिया में 805 वर्ग फीट में फैले इस स्टोर को पर्यावरण के प्रति जागरूकता के साथ डिजाइन किया गया है। यहां 14 वर्ष तक के बच्चों के लिए प्लास्टिक मुक्त किड्स वियर, मातृत्व के लिए खासतौर पर डिजाइन कपड़े, खिलौने, बैग व लाइफस्टाइल से जुड़े प्रोडक्ट उपलब्ध हैं

ऑस्ट्रेलिया में भगवान परशुराम जन्मोत्सव का भव्य आयोजन, कश्मीर आतंकी हमले के कारण शोभा यात्रा रद्द

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सर्व ब्राह्मण महासभा एसोसिएशन ऑस्ट्रेलिया के तत्वावधान में मेलबर्न में भगवान परशुराम जन्मोत्सव का भव्य आयोजन बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ संपन्न हुआ। इस अवसर पर ऑस्ट्रेलिया में बसे प्रवासी भारतीयों और ब्राह्मण समाज के लोगों ने भारी संख्या में हिस्सा लिया। हालांकि, हाल ही में कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के मद्देनजर शोभा यात्रा को रद्द कर दिया गया। कार्यक्रम के दौरान सर्व ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पं. सुरेश मिश्रा ने ऑनलाइन संबोधन में कहा, “भगवान परशुराम मातृ-पितृ भक्ति के सर्वोच्च उदाहरण हैं। उन्होंने तप, बल और शौर्य से अत्याचारियों का नाश कर समाज में धर्म की स्थापना की। विष्णु के छठे अवतार के रूप में उनके जीवन से हमें आज भी प्रेरणा मिलती है।”

सर्व ब्राह्मण महासभा ऑस्ट्रेलिया इकाई के अध्यक्ष रवि शर्मा ने कहा, “भगवान परशुराम न केवल ब्राह्मण समाज के लिए, बल्कि समस्त मानवता के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।” उन्होंने विभिन्न समुदायों के प्रवासी भारतीयों की सहभागिता पर प्रसन्नता जताई। कार्यक्रम में रवि शर्मा, अमित शर्मा, राज शर्मा, रचित चतुर्वेदी, रश्मि शर्मा और ऋतु शर्मा ने भी उपस्थित जनसमूह को संबोधित किया।आयोजन में भजन-कीर्तन, पूजा-अर्चना और यज्ञ का आयोजन हुआ। उपस्थित सभी लोगों को भगवान परशुराम के चित्र के समक्ष आशीर्वाद स्वरूप प्रतीक चिन्ह और प्रमाणपत्र प्रदान किए गए। सभी ने उनके आदर्शों का पालन करने का संकल्प लिया। कार्यक्रम के दौरान हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में जान गंवाने वाले 26 भारतीयों और एक नेपाली नागरिक को श्रद्धांजलि दी गई। इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े द रजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली थी। हमले के शोक में दो मिनट का मौन रखा गया और शोभा यात्रा को रद्द करने का निर्णय लिया गया।महासभा के पदाधिकारियों और गणमान्य लोगों की उपस्थिति में वातावरण श्रद्धा और भक्ति से ओतप्रोत रहा। यह आयोजन न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक एकता और मानवता के प्रति समर्पण का भी प्रतीक बना।

मुंबई इंडियंस वानखेड़े स्टेडियम में मनाएगी ईएसए डे, शामिल होंगे 19,000 बच्चे

वैश्विक मंच पर डाइस ने जीता एफटीसी वर्ल्ड रोबोटिक्स खिताब

फ्रांसीसी यात्रा लेखक और पत्रकार एंटोनी कैल्विनो के साथ साहित्यिक सत्र

यूरोपीय भाषा, साहित्य और संस्कृति अध्ययन विभाग और अंतरराष्ट्रीय सहयोग सेल, राजस्थान विश्वविद्यालय ने 16 अप्रैल 2025 को प्रसिद्ध फ्रांसीसी यात्रा लेखक और पत्रकार एंटोनी कैल्विनो के साथ एक आकर्षक साहित्यिक सत्र का आयोजन किया। इस आयोजन में एमए फ्रेंच के छात्रों, विभाग के पूर्व छात्रों और संकाय सदस्यों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया, जिससे एक वास्तविक रूप से गहन और बौद्धिक रूप से प्रेरणादायक माहौल बना।

सत्र की शुरुआत फ्रेंच में एक गर्मजोशी भरे स्वागत के साथ हुई, जिसमें एंटोनी कैल्विनो को एक उत्साही यात्रा लेखक और पत्रकार के रूप में पेश किया गया, जो “Un an autour de l’océan Indien” पुस्तक के लेखक हैं। इस कृति में, श्री कैल्विनो ने भारत, यमन, इथियोपिया, केन्या और युगांडा जैसे देशों की असाधारण यात्रा का वर्णन किया है, जिसमें न केवल जीवंत यात्रा कथाएँ हैं, बल्कि गहरी मानवीय कहानियाँ और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि भी शामिल हैं।

जैक केरौअक की “On the Road” से प्रेरित, उनकी लेखन शैली अज्ञात समुदायों और भूली-बिसरी भौगोलिक क्षेत्रों की खोज करती है। यात्रा लेखन और पेटिट फ्यूटे जैसे गाइडों में योगदान देने से पहले, एंटोनी कैल्विनो ने लिबरेशन और ले मॉन्ड डिप्लोमैटिक जैसे प्रतिष्ठित प्रकाशनों के लिए बीस वर्षों तक पत्रकार के रूप में काम किया। उनकी यात्रा वृत्तांत, जो मूल रूप से लिबरेशन वेबसाइट पर प्रकाशित हुआ था, को ग्लैमर मैगज़ीन पुरस्कार से सम्मानित किया गया और बाद में फेबस और यूनिवर्सल पॉकेट द्वारा प्रकाशित किया गया।

सत्र के दौरान, श्री कैल्विनो ने यात्रा लेखन में रूढ़ियों की भूमिका, उनकी साहित्यिक यात्रा की प्रेरणा और एक उपन्यास को पूरा करने के लिए आवश्यक अनुशासन पर आकर्षक विचार साझा किए। पर्यटन और वास्तविक यात्रा के बीच अंतर पर उनके विचारों ने छात्रों के बीच सार्थक संवाद और गहन चिंतन को प्रेरित किया।

सत्र का औपचारिक उद्घाटन डॉ. निधि रायसिंघानी ने किया, जिन्होंने सम्मानित अतिथि का हार्दिक स्वागत किया और विभाग की फ्रैंकोफोन दुनिया के साथ गहन अनुभव प्रदान करने की निरंतर प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। यह संवाद छात्रों के लिए एक समकालीन फ्रांसीसी लेखक से जुड़ने, अपनी भाषाई क्षमताओं को बढ़ाने और यात्रा साहित्य को सांस्कृतिक और मानवीय अन्वेषण के माध्यम के रूप में गहराई से समझने का एक दुर्लभ अवसर प्रदान करता था।

सर्व ब्राह्मण महासभा एवं अन्य सहयोगी ब्राह्मण संगठनों की ओर से प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी भगवान परशुराम जन्मोत्सव समारोह 20 अप्रेल से 04 मई तक आयोजित किया जायेगा। 15 दिवस तक चलने वाले कार्यक्रम में विभिन्न दिवसों पर भगवान परशुराम जन्मोत्सव समारोह के अन्तर्गत विभिन्न कार्यक्रम आयोजित होगें।

सर्व ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पं. सुरेश मिश्रा ने बताया है कि इस बार ना केवल राजस्थान और देश में वरन विश्व के 10 प्रमुख देशों में भगवान परशुराम जन्मोत्सव का आयोजन होगा। ऐसा पहली बार होगा कि विदेशी धरती पर भगवान परशुराम जी की जय जयकार होगी और विभिन्न आयोजन होगें। जिसमें प्रमुख रूप से आस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड, लंदन, कनाडा, इटली, अमेरिका, बैंकांग, दुबई, कतर, पौलेंड में परशुराम जन्मोत्सव 30 अप्रेल अक्षय तृतीया को धूमधाम से आयोजित किया जायेगा और देश की सभी राजधानियों में शस्त्र पूजन के आयोजन किये जायेगें। साथ ही राजस्थान प्रदेश में सभी जिला मुख्यालयों और तहसील, गांव ढाणी स्तर तक भगवान परशुराम जन्मोत्सव के तहत विभिन्न आयोजन किये जायेंगे। जयपुर में रेलवे स्टेशन स्थित परशुराम सर्किल पर भगवान परशुराम की अष्ठधातु की विशाल एवं भव्य प्रतिमा का अनावरण समारोह होगा। इस अवसर पर ब्राह्मण समाज के प्रबुद्धजन, राजनेता एवं संत-महंत उपस्थित रहेंगे। इस अवसर पर महिलाएं मंगल गीत गाती हुई कलश यात्रा के साथ एक ही रंग में रंगी हुई नजर आएंगी।


भगवान परषुराम जन्मोत्सव समारोह का विधिवत शुभारंभ 20 अप्रेल को प्रातः 9ः00 बजे मोती डूंगरी स्थित गणेश मंदिर में गणेश निमंत्रण के साथ होगा। इस अवसर पर जयपुर के प्रमुख संत, महंतों की उपस्थिति में एक स्टीकर का विमोचन भी किया जायेगा। 26 अप्रेल को ताड़केश्वर महादेव मंदिर चौड़ा रास्ता में 5100 दीपों से महाआरती का आयोजन होगा। 24 अप्रेल को ‘‘भगवान परशुराम जी का व्यक्तित्व एवं कृतित्व’’ विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया जायेगा। जिसमें विद्वान परशुराम जी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालेंगें।
29 अप्रेल को परशुराम जन्मोत्सव की पूर्व संध्या पर रेलवे स्टेशन स्थित भगवान परशुराम सर्किल पर नन्हे-मुन्ने बच्चे दीप प्रज्जवलन करेंगें। 30 अप्रेल को मुख्य समारोह में भगवान परशुराम जी की मूर्ति का अनावरण होगा साथ ही पूरे प्रदेश में परशुराम जन्मोत्सव की शोभा यात्रा का आयोजन होगा।
मिश्रा ने बताया कि साथ ही 20 अप्रेल से 4 मई तक जयपुर, उदयपुर, टोंक, बांसवाडा, बूंदी, झालावाड, जोधपुर, बीकानेर, गंगापुर सिटी, अलवर, सवाई माधोपुर, डूंगरपुर, झुंझुनूं, दौसा, गंगानगर, हनुमानगढ़, चूरू, सीकर, पाली, जालौर, जैसलमेर, कोटा, माउटं आबू सहित 35 जिलों एवं 180 तहसील मुख्यालयों पर विभिन्न कार्यक्रम जन्मोत्सव समारोह के अन्तर्गत आयोजित होंगे।


मिश्रा ने बताया कि 3 मई को शस्त्र एवं शास्त्र का पूजन किया जायेगा। साथ ही 4 मई को भगवान परशुराम जन्मोत्सव समारोह के समापन पर जयपुर में ‘‘ब्राह्मण रत्न’’ सम्मान समारोह का आयोजन रखा गया है। सम्मान समारोह में समाज सेवी, पत्रकार, प्रशासनिक अधिकारी, साहित्यकार, व्यवसायी, चिकित्सक, शिक्षा शास्त्री सहित समाज के विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वाली लब्ध प्रतिष्ठित ब्राह्मण प्रतिभाओं को सम्मानित किया जायेगा।
पं. सुरेश मिश्रा ने बताया कि जयपुर में इस आयोजन को सफल बनाने के लिये एक समिति का गठन किया गया जिसमें राष्ट्रीय संरक्षक एस.सी. गणेशिया जी और गोविन्द पारीक राष्ट्रीय संयोजक आचार्य राजेश्वर, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिनेश शर्मा, महिला प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय महामंत्री श्रीमती सविता शर्मा, जयपुर शहर महिला अध्यक्ष पूजा शर्मा जी, विधि प्रकोष्ठ के प्रदेशाध्यक्ष एडवोकेट कमलेश शर्मा, युवा प्रकोष्ठ के प्रदेशाध्यक्ष गब्बर कटारा, जयपुर जिलाध्यक्ष बाबूलाल शर्मा, जयपुर शहर अध्यक्ष अनिल सारस्वत, जयपुर युवा संभाग अध्यक्ष दिनेश शर्मा, उदयपुर युवा अध्यक्ष संभाग अध्यक्ष अविकुल शर्मा, प्रदेश संगठन मंत्री श्याम शास्त्री को शामिल किया है।

राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर के राजस्थान अध्ययन केंद्र द्वारा आज “विश्व मानचित्र पर राजस्थान” विषय पर एक विशेष व्याख्यान कार्यक्रम का आयोजन किया गया

यह कार्यक्रम राजस्थान के वैश्विक योगदान को रेखांकित करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया, जिसमें राजस्थान की समृद्ध सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और सामाजिक विरासत पर गहन चर्चा हुई।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रवि कुमार अय्यर भारतीय संपर्क विभाग के सदस्य ने अपने प्रेरक उद्बोधन में राजस्थान की वैश्विक पहचान पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “राजस्थान की कला, संस्कृति, और परंपराएं न केवल भारत बल्कि विश्व स्तर पर अपनी अमिट छाप छोड़ती रही हैं। यहाँ की विचारधाराएं और जीवनशैली वैश्विक मंच पर प्रेरणा का स्रोत रही हैं।”

विशिष्ट अतिथि विभाग प्रचारक प्रशांत कुमार ने युवाओं को संबोधित करते हुए राष्ट्र निर्माण में उनकी भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने राजस्थान की गौरवशाली विरासत का उल्लेख करते हुए कहा कि यहाँ की कहानियाँ और इतिहास युवाओं को अपने मूल्यों से जोड़े रखने का कार्य करते हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता राजस्थान विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. अल्पना कटेजा ने की। उन्होंने अपने संबोधन में कहा, “ऐसे आयोजन न केवल छात्रों में बौद्धिक जागरूकता बढ़ाते हैं, बल्कि उन्हें अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़कर वैश्विक दृष्टिकोण प्रदान करते हैं।”

कार्यक्रम का कुशल संचालन प्रियंका गर्ग ने किया, जिन्होंने सभी वक्ताओं के विचारों को सहजता से जोड़ा। समापन सत्र में राजस्थान अध्ययन केंद्र की निदेशक डॉ. दीपिका विजयवर्गीय ने सभी अतिथियों, प्राध्यापकों, शोधार्थियों और विद्यार्थियों का आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के अनेक प्राध्यापक, शोधार्थी और विद्यार्थी उपस्थित रहे, जिन्होंने इस विचारोत्तेजक सत्र से प्रेरणा प्राप्त की। कार्यक्रम ने राजस्थान की वैश्विक महत्ता को नई पीढ़ी तक पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

पानी के परिण्डे लगाओ-मूक पक्षियों का जीवन बचाओं | डा. हरसहाय मीणा

गर्मी के मौसम में पानी के परिण्डे लगाओ-पक्षियों का जीवन बचाओं-पुण्य कमाओ -सुमन मीणा

भारत रत्न डा.भीमराव अंबेडकर जयंती के शुभ अवसर पर श्री लक्ष्मीनारायण मीणा मेमोरियल ट्रस्ट
कानडियावाला (मानोता )
तहसील जमवारामगढ़ जिला जयपुर की ओर से मूक प्राणियों के पानी की व्यवस्था के लिए परिण्डे लगाकर “परिण्डे लगाओं-मूक पक्षी बचाओं “अभियान का शुभारंभ किया गया ।

ट्रस्ट संयोजक वरिष्ठ
आर ए एस अधिकारी डा. हरसहाय मीणा ने बताया कि ट्रस्ट की ओर से आज दिनांक 14 अप्रैल 2025 को सिद्धेश्वर महादेव मंदिर परिसर,
ग्राम कानडियावाला स्थित आवास पर प्रात:ग्यारह बजे कार्यक्रम आयोजित कर भयंकर गर्मी के मौसम में मूक पक्षियों के लिए पानी की व्यवस्था करने के लिए “परिण्डे लगाओ- पक्षी बचाओं अभियान का शुभारंभ किया गया ।उन्होंने बताया कि टीम सुमन मीणा (टीएसएम)के सभी कार्यकर्ताओं से आग्रह किया गया है कि अपने आवास एवं कार्य क्षेत्र के आसपास मूक पक्षियों को गर्मी से बचाने के लिए
परिण्डे लगाकर पानी की व्यवस्था की जाये ।उन्होंने यह भी कहा कि पशुओं के लिए भी गर्मी के मौसम में पानी की व्यवस्था करावे ।

ट्रस्ट अध्यक्ष सुमन मीणा ने सभी कार्यकर्ताओं तथा ट्रस्टियों से आग्रह किया की अब आने वाले दिनों में गर्मी बढ़ती जाएगी तथा पानी के स्रोत कम होते चले जाएँगे मूक प्राणियों के पीने के पानी का संकट उत्पन्न होगा, ऐसी स्थिति में मूक प्राणियों- पशुओं एवं पक्षियों के जीवन पर भी संकट आ सकता है,इनको बचाने के लिए अपने आस पास में पानी की व्यवस्था करावे ।इसके के लिये ट्रस्ट की ओर से परिण्डे लगाओं- पक्षी बचाओं अभियान का शुभारंभ किया गया है ।इस अभियान से जुड़कर अपने आस पास परिण्डे लगाकर नियमित रूप से पानी से भरकर मूक प्राणियों का जीवन बचाकर पुण्य कमाओ ।उन्होंने सभी
साथियों से आग्रह किया कि आप इस कार्यक्रम से जुड़कर गर्मी के मौसम में आपके आस पास मूक प्राणियों(पक्षियों )के लिए पानी की व्यवस्था सुनिश्चित कर पुण्य कमाये ।