विधि महाविद्यालय, राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर में भारत रत्न बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर के 134 वें जन्मदिवस पर राजस्थान विश्वविद्यालय की कुलगुरु प्रो. अल्पना कटेजा द्वारा विधि महाविद्यालय में स्थापित बाबा साहेब की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर भारत निर्माण में बाबा साहेब के योगदान को याद किया गया और बाबा साहेब द्वारा समता स्थापित करने, न्याय प्रदान करने, एवं मानव गरिमा को बनाये रखने के प्रयासों की सराहना की।
विधि महाविद्यालय के प्राचार्य, डॉ. राजीव सोनी ने बाबा साहेब की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर बाबा साहेब के भारतीय संविधान निर्माण में किए गए अतुलनीय कार्यों को भूरी भूरी प्रशंसा की, साथ ही उपस्थित विद्यार्थियों को बाबा साहेब के दिखाए रास्ते पे चल कर राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान देने को कहा। इस अवसर पर कुलगुरु महोदया द्वारा महाविद्यालय के अंबेडकर पार्क में पौधा रोपण किया गया और गर्मियों को ध्यान में रखते हुए पक्षियों के लिए परिंडों की स्थापना भी की गई। उक्त कार्यक्रम में विधि महाविद्यालय के विद्यार्थियों ने उत्साह से भाग लिया और महाविद्यालय परिसर में लगाए गए पौधों को पानी देने और परिंडों में नियमित रूप से पानी डालने का संकल्प लिया और प्राचार्य को बाबा साहेब की फोटो भेंट की गई।
देशभर के प्रमुख स्टेडियमों में पीक डेटा डिमांड संभालने के लिए 2,000 से अधिक नेटवर्क सेल लगाए गए
जयपुर, 12 अप्रैल, 2025: जैसे-जैसे क्रिकेट सीजन ने देशभर में जोर पकड़ा है, रिलायंस जियो ने जयपुर के सवाई मानसिंह (एसएमएस) स्टेडियम में दर्शकों के लिए एक शानदार डिजिटल अनुभव सुनिश्चित किया है। लगभग 30,000 दर्शकों की मौजूदगी को ध्यान में रखते हुए, जियो ने अपने 4जी और 5जी नेटवर्क कवरेज को मजबूत किया है ताकि स्टेडियम में मौजूद हर फैन को निर्बाध और तेज़ कनेक्टिविटी मिल सके।
मैच के रोमांचक पलों को अपलोड करना हो, लाइव हाइलाइट्स स्ट्रीम करना हो या दोस्तों से जुड़ना—एसएमएस स्टेडियम में मौजूद दर्शकों को अब जियो के एडवांस मोबाइल ब्रॉडबैंड नेटवर्क के जरिए हाई-स्पीड इंटरनेट की सुविधा मिल रही है।
जियो ने स्टेडियम में हाई-स्पीड जियो नेट वाई-फाई की सुविधा भी उपलब्ध कराई है, जिससे दर्शक रीयल-टाइम अपडेट का आनंद ले सकें और अपने अनुभव तुरंत साझा कर सकें।
देशभर में इस क्रिकेट सीजन के लिए जियो ने प्रमुख स्टेडियमों में 2,000 से अधिक डेडिकेटेड नेटवर्क सेल लगाए हैं। 5जी स्टैंडअलोन आर्किटेक्चर, नेटवर्क स्लाइसिंग और कैरियर एग्रीगेशन जैसी अत्याधुनिक तकनीकों के जरिए जियो की नेटवर्क व्यवस्था भीड़भाड़ वाले इलाकों में भी बेहतरीन कनेक्टिविटी प्रदान करती है।
यह रणनीतिक निवेश नेटवर्क कंजेशन को कम करता है, इंटरनेट स्पीड को बढ़ाता है और मैच के दौरान लाइव अनुभवों को बिना रुकावट साझा करने की सुविधा देता है। जियो की नेटवर्क क्षमता हाल ही में आईसीसी फाइनल्स के दौरान देखी गई थी, जब एक ही दिन में रिकॉर्ड 50 करोड़ जीबी डेटा प्रोसेस किया गया। साथ ही, प्रयागराज के महाकुंभ जैसे विशाल आयोजनों में भी इसकी मजबूती सामने आई है।
ओकला की रिपोर्ट के अनुसार, जियो ने 201.87 एमबीपीएस की मीडियन डाउनलोड स्पीड हासिल की, जो प्रतिस्पर्धियों से कहीं बेहतर है, और इससे नेटवर्क प्रदर्शन में उसकी नेतृत्वकारी स्थिति की पुष्टि होती है। अपने स्वदेशी 5जी टेक्नोलॉजी स्टैक—जिसमें कोर नेटवर्क, क्लाउड ऑर्केस्ट्रेशन और एआई/एमएल प्लेटफॉर्म शामिल हैं—पर पूर्ण स्वामित्व के साथ, जियो भारत में खेल प्रेमियों के लिए डिजिटल कनेक्टिविटी को नए आयाम दे रहा है।
19-20 मई 2025 को अमेरिका के लास वेगास,नेवदा में आयोजित “चौथी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एवं रोबोटिक्स अंतरराष्ट्रीय समिट” में “टेक्नोलॉजी के भविष्यगामी दुष्प्रभाव और उससे बचने के उपायों” पर मुख्य वक्ता के रूप में की-नोट स्पीच देने के लिए प्रख्यात कंप्यूटर वैज्ञानिक एवं यूएनडीपी से जुड़े अंतरराष्ट्रीय डिजिटल डिप्लोमेसी विशेषज्ञ डॉ डीपी शर्मा अमेरिका पहुंचेंगे।
प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत मिशन के राष्ट्रीय ब्रांड एंबेसडर डॉ शर्मा ने बताया कि वे अब साइबर स्वच्छता के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की स्वच्छता पर भी काम कर रहे हैं। डॉ शर्मा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दुनियां के उन सभी पहलुओं पर चर्चा करेंगे जिनसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एवं रोबोटिक्स का उपयोग करते हुए इनके दुष्प्रभावों से आने वाली पीढ़ी और दुनियां को बचाया जा सके।
ज्ञात रहे कि डॉ शर्मा पिछले सप्ताह वाचेमो विश्वविद्यालय की एक कांफ्रेंस में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रभावों एवं दुष्प्रभावों पर विस्तार से दुनियां को आगाह कर चुके हैं। वाचेमो विश्वविद्यालय पहुंचने पर डॉ शर्मा का देश की प्राचीन हड्ईया परंपरा से भव्य स्वागत किया गया एवं यूनाइटेड नेशंस एवं भारत के ध्वज को भी कॉन्फ्रेंस स्थल पर लगाया गया था।
19-20 मई 2025 को अमेरिका के लास वेगास,नेवदा में आयोजित “चौथी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एवं रोबोटिक्स अंतरराष्ट्रीय समिट” में “टेक्नोलॉजी के भविष्यगामी दुष्प्रभाव और उससे बचने के उपायों” पर मुख्य वक्ता के रूप में की-नोट स्पीच देने के लिए प्रख्यात कंप्यूटर वैज्ञानिक एवं यूएनडीपी से जुड़े अंतरराष्ट्रीय डिजिटल डिप्लोमेसी विशेषज्ञ डॉ डीपी शर्मा अमेरिका पहुंचेंगे।
प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत मिशन के राष्ट्रीय ब्रांड एंबेसडर डॉ शर्मा ने बताया कि वे अब साइबर स्वच्छता के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की स्वच्छता पर भी काम कर रहे हैं। डॉ शर्मा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दुनियां के उन सभी पहलुओं पर चर्चा करेंगे जिनसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एवं रोबोटिक्स का उपयोग करते हुए इनके दुष्प्रभावों से आने वाली पीढ़ी और दुनियां को बचाया जा सके।
ज्ञात रहे कि डॉ शर्मा पिछले सप्ताह वाचेमो विश्वविद्यालय की एक कांफ्रेंस में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रभावों एवं दुष्प्रभावों पर विस्तार से दुनियां को आगाह कर चुके हैं। वाचेमो विश्वविद्यालय पहुंचने पर डॉ शर्मा का देश की प्राचीन हड्ईया परंपरा से भव्य स्वागत किया गया एवं यूनाइटेड नेशंस एवं भारत के ध्वज को भी कॉन्फ्रेंस स्थल पर लगाया गया था।
महंगे साउंड बॉक्स की जगह ले रहा जियो भारत फोन का साउंड पे फीचर
रिलायंस जियो के जियो भारत फोन का साउंड पे फीचर राजस्थान में छोटे व्यापारियों के लिए यूपीआई भुगतान को आसान और किफायती बना रहा है। जहां अन्य यूपीआई प्लेटफॉर्म 125 रुपए प्रति माह चार्ज करते हैं, वहीं जियो भारत फोन में यह सेवा बिना किसी अतिरिक्त शुल्क और डिवाइस के उपलब्ध है। इस सुविधा के जरिए व्यापारियों को रियल-टाइम ऑडियो पेमेंट अलर्ट मिलता है।
राजस्थान में लगभग 26.87 लाख एमएसएमई संचालित हैं, जिनमें थोक और खुदरा व्यापारी भी शामिल हैं। उनके लिए जियो भारत फोन एक किफायती डिजिटल लेनदेन उपकरण साबित हो रहा है। सिर्फ 699 रुपए की कीमत में मिलने वाला यह 4जी फोन सालाना 1500 रुपए की बचत कराता है। साथ ही, इसमें जियो पे, जियो सिनेमा, जियो सावन और 455 प्लस लाइव टीवी चैनल जैसी सुविधाएं भी मिलती हैं।
अजमेर की ई-मित्र संचालक गायत्री तुनवाल ने बताया कि अब वह यूपीआई भुगतान की जानकारी के लिए एंड्रॉयड फोन की जगह जियो भारत फोन इस्तेमाल कर रही हैं। उनका फोन यूपीआई पेमेंट की सूचना खुद देता है, जिससे महंगे साउंड बॉक्स की जरूरत खत्म हो गई।
सवाई माधोपुर के मोबाइल दुकानदार दीपेश जैन ने बताया कि जहां अन्य प्लेटफॉर्म केवल भुगतान अलर्ट प्रदान करते हैं, वहीं जियो भारत फोन एक संपूर्ण डिजिटल पैकेज है, जो मनोरंजन और अन्य आवश्यक ऐप्स की सुविधा भी देता है। जयपुर के अचरोल क्षेत्र के बन्ना गुर्जर ने कहा, “जियो भारत फोन पर स्विच करने से न केवल पैसे की बचत हुई है, बल्कि डिजिटल लेन-देन भी आसान हो गया है।”
जियो भारत फोन की यह सुविधा छोटे व्यापारियों के लिए यूपीआई भुगतान को अधिक किफायती और सुविधाजनक बना रही है।
हर साल, जब वसंत ऋतु राजस्थान के शुष्क भूभाग में जीवन की सांस लेती है, तो प्राचीन शहर करौली कैला देवी मेले के जीवंत रंगों और जोशीले गीतों से जीवंत हो उठता है। चंबल नदी के पास प्रतिष्ठित कैला देवी मंदिर में आयोजित यह भव्य आयोजन केवल एक धार्मिक समागम नहीं है, बल्कि इतिहास, संस्कृति, आध्यात्मिकता और आर्थिक जीवन शक्ति के धागों से बुना हुआ एक जीवंत चित्र है। चैत्र माह (मार्च-अप्रैल) के दौरान एक पखवाड़े से अधिक समय तक चलने वाला यह मेला दस लाख से अधिक भक्तों, पर्यटकों और व्यापारियों को आकर्षित करता है, जो करौली को राजस्थान की स्थायी विरासत का एक सूक्ष्म जगत बना देता है।
ऐतिहासिक जड़ें: भक्ति और राजवंश की विरासत
कैला देवी मेले की उत्पत्ति मिथक और शाही संरक्षण में डूबी हुई है। किंवदंती के अनुसार मंदिर की स्थापना 12वीं शताब्दी में हुई थी, जब दुर्गा/काली के अवतार कैला देवी को एक भटकते हुए तपस्वी द्वारा करौली लाया गया था। मंदिर को करौली रियासत के तहत प्रमुखता मिली, जिसके शासक यदुवंशी राजपूतों ने खुद को राजनीतिक नेता और आस्था के संरक्षक के रूप में स्थापित किया। माना जाता है कि मेला उनके संरक्षण में एक छोटे से अनुष्ठान से एक भव्य आयोजन में विकसित हुआ, जो राजस्थान के मध्ययुगीन राज्यों की समन्वयकारी परंपराओं को दर्शाता है। इतिहासकारों का कहना है कि मेले का समय नवरात्रि के साथ मेल खाता है, जो दिव्य स्त्री शक्ति की विजय का प्रतीक है – एक ऐसा विषय जो राजस्थान के योद्धा लोकाचार के साथ प्रतिध्वनित होता है। मंदिर की वास्तुकला, राजपूत और मुगल शैलियों का मिश्रण, क्षेत्र के स्तरित इतिहास का एक वसीयतनामा है, जहाँ आस्था राजनीतिक सीमाओं को पार करती है।
धार्मिक महत्व: एक एकीकृत शक्ति के रूप में आस्था
भक्तों के लिए, कैला देवी मेला मुक्ति और आशा की तीर्थयात्रा है। देवी को करुणामयी (दयालु) के रूप में पूजा जाता है, माना जाता है कि वे कठोर अनुष्ठान करने वालों की इच्छाएँ पूरी करती हैं। भक्तगण नंगे पाँव मीलों तक चलते हैं, अक्सर प्रसाद के बर्तन (काँवर) लेकर, भजन गाते हुए। मेले का चरम कृष्ण पक्ष अष्टमी को होता है, जब देवी को सोने और चाँदी के परिधानों से सजाया जाता है, जिससे लोगों में भक्ति की लहर दौड़ जाती है। यह मेला हिंदू धर्म की समन्वयात्मक भावना का भी प्रतीक है। आदिवासी समुदाय, जैसे कि मीना और कालबेलिया, अपनी लोक परंपराओं को मंदिर के अनुष्ठानों के साथ मिलाते हैं, यह दर्शाता है कि क्षेत्रीय आस्था प्रथाएँ कैसे बदलती और टिकती हैं। कई लोगों के लिए, तीर्थयात्रा एक संस्कार है, जो एक तेजी से बदलती दुनिया में आध्यात्मिक आधार है।
सांस्कृतिक जीवंतता: लोक कलाओं का उत्सव
अपने धार्मिक मूल से परे, यह मेला राजस्थान की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत का उत्सव है। मैदान कालबेलिया नृत्य, लंगास की भावपूर्ण सूफी धुनों और रामायण जैसे महाकाव्यों का वर्णन करने वाले कठपुतली शो के प्रदर्शन से गुलजार रहता है। कारीगर पारंपरिक शिल्प प्रदर्शित करते हैं: लाख की चूड़ियाँ, कुंदन के गहने और हाथ से कढ़ाई किए हुए कपड़े। यह मेला एक ऐसा मंच बन जाता है जहाँ राजस्थान के खानाबदोश और स्थायी समुदाय कहानियों, गीतों और कौशल का आदान-प्रदान करते हैं, जो परंपराओं को संरक्षित करते हैं जो अन्यथा फीकी पड़ सकती हैं। खाना भी एक सांस्कृतिक भूमिका निभाता है। स्टॉल दाल बाटी चूरमा और घेवर जैसे स्थानीय व्यंजन परोसते हैं, जो मेले को एक लजीज यात्रा में बदल देते हैं। ये तत्व सामूहिक रूप से राजस्थान की पहचान को एक ऐसी भूमि के रूप में मजबूत करते हैं जहाँ संस्कृति का प्रदर्शन ही नहीं बल्कि जीवन भी होता है।
आर्थिक इंजन: तीर्थयात्रा में समृद्धि
कैला देवी मेला करौली की अर्थव्यवस्था की आधारशिला है। स्थानीय समुदायों के लिए, यह मौसमी रोजगार पैदा करता है – विक्रेता, ट्रांसपोर्टर और होटल व्यवसायी इन हफ्तों के दौरान अपनी वार्षिक आय का एक महत्वपूर्ण हिस्सा कमाते हैं। हस्तशिल्प की बिक्री कारीगरों को आजीविका प्रदान करती है, जबकि तीर्थयात्रियों की आमद मवेशियों के चारे से लेकर डिजिटल सेवाओं तक हर चीज की मांग को बढ़ाती है। राजस्थान सरकार ने पर्यटन को बढ़ावा देने, सड़कों और स्वच्छता जैसे बुनियादी ढांचे में सुधार करने के लिए मेले की लोकप्रियता का लाभ उठाया है। हालाँकि, चुनौतियाँ बनी हुई हैं: सांस्कृतिक प्रामाणिकता के साथ व्यावसायीकरण को संतुलित करना, सामूहिक समारोहों से निकलने वाले कचरे का प्रबंधन करना और हाशिए पर पड़े विक्रेताओं के लिए समान लाभ सुनिश्चित करना। फिर भी, मेले का आर्थिक प्रभाव एक व्यापक सत्य को रेखांकित करता है: भारत में, धार्मिक त्यौहार अक्सर जमीनी स्तर पर उद्यमशीलता के इंजन के रूप में काम करते हैं।
त्रितीर्थ एवं त्रिराज्यीय चम्बल संगम कॉरिडोर
सरकार को चाहिए कि पूर्वी राजस्थान की लोक संस्कृति, धार्मिक आस्था के साथ त्रिराज्यीय (यूपी, राजस्थान, एमपी) के चम्बल संगम पर स्थित त्रिआस्था संगम केंद्र (कैलादेवी, महावीरजी, मदनमोहनजी) के इस धार्मिक स्थान का समुचित विकास सुनिश्चित हो और एक धार्मिक कॉरिडोर के माध्यम से इसकी भव्यता एवं दिव्यता को विकसित किया जाये/
युगों के बीच एक पुल
कैला देवी मेला अतीत के अवशेष से कहीं अधिक है; यह अपनी आत्मा को बनाए रखते हुए आधुनिकता के अनुकूल ढलने वाली एक गतिशील संस्था है। यह हमें याद दिलाता है कि आस्था वाणिज्य के साथ, परंपरा नवाचार के साथ और स्थानीय पहचान वैश्विक जिज्ञासा के साथ सह-अस्तित्व में हो सकती है। जैसे-जैसे राजस्थान वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर अपनी स्थिति बना रहा है, मेले की स्थायी अपील इतिहास, आध्यात्मिकता, संस्कृति और अर्थशास्त्र को सामंजस्य बनाने की इसकी क्षमता में निहित है – जो स्थायी विरासत का एक सबक है। आपाधापी के युग में, कैला देवी मेला सामूहिक उत्सव की शक्ति का एक वसीयतनामा है, जो साबित करता है कि रेगिस्तान में भी एकता और समृद्धि खिल सकती है।
भारत के प्रमुख फैशन प्लेटफॉर्म आजियो ने लैक्मे फैशन वीक के साथ साझेदारी करते हुए एसोस के नवीनतम ट्रांजिशन कलेक्शन को भारत में लॉन्च किया। यह सहयोग भारतीय उपभोक्ताओं को वैश्विक फैशन से जोड़ने और उन्हें नवीनतम अंतरराष्ट्रीय ट्रेंड्स उपलब्ध कराने की आजियो की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
‘ए समर ऑफ स्टाइल’ शो में बॉलीवुड स्टार्स तारा सुतारिया और वीर पहाड़िया शोस्टॉपर बने, जिन्होंने एसोस के बोल्ड और आरामदायक स्टाइल को शानदार अंदाज में प्रस्तुत किया। इस साझेदारी के तहत एसोस का यह विशेष कलेक्शन सिर्फ आजियो पर उपलब्ध होगा।
आजियो के सीईओ वीनीत नायर ने कहा, “हम लैक्मे फैशन वीक के साथ जुड़कर गर्व महसूस कर रहे हैं। यह साझेदारी भारतीय ग्राहकों को अंतरराष्ट्रीय ब्रांड्स तक आसान पहुंच देने की दिशा में एक बड़ा कदम है।” वहीं, एसोस की मैनेजिंग डायरेक्टर मिशेल विल्सन ने भारत को एक रोमांचक बाजार बताते हुए आजियो के साथ सहयोग को बेहतरीन बताया।
इंडियन फार्मासिस्ट एसोसिएशन (IPA) के प्रदेश अध्यक्ष सर्वेश्वर शर्मा ने जानकारी दी कि फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) और भारतीय शिक्षण मंडल (BVM) के संयुक्त तत्वावधान में एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन नई दिल्ली के नौरोजी नगर स्थित PCI के नवीन परिसर में किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य बी. फार्मा पाठ्यक्रम को उद्योग की आवश्यकताओं और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप संरेखित करना था, साथ ही फार्मेसी शिक्षा को वैश्विक मानकों के साथ सामंजस्यपूर्ण दिशा प्रदान करना था। कार्यशाला के मुख्य अतिथि भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय संगठन मंत्री श्री बी.आर. शंकरानंद और मुख्य वक्ता इंडियन फार्मास्यूटिकल एलायंस (IPA) के महासचिव डॉ. सुदर्शन जैन थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. मोंटू कुमार पटेल ने की। इस अवसर पर देशभर के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के फार्मेसी विशेषज्ञों के साथ-साथ भारतीय शिक्षण मंडल के विषय विशेषज्ञों ने भी सहभागिता की।
डॉ. मोंटू कुमार पटेल का संदेश कार्यशाला को संबोधित करते हुए डॉ. मोंटू कुमार पटेल ने कहा कि जनस्वास्थ्य की सुरक्षा सुनिश्चित करने और किफायती व प्रभावी चिकित्सा सेवाओं को सुदृढ़ करने में फार्मासिस्टों की भूमिका अतुलनीय है। उन्होंने वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना करने, दवाओं के वितरण और रखरखाव, और उनकी किफायती व सहज उपलब्धता सुनिश्चित करने में फार्मासिस्टों के योगदान पर जोर दिया। डॉ. पटेल ने यह भी कहा कि यह कार्यशाला फार्मेसी शिक्षा को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप संरेखित करने के साथ-साथ वैश्विक मानकों तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
श्री बी.आर. शंकरानंद का विचार श्री बी.आर. शंकरानंद ने भारतीय शिक्षा दर्शन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ज्ञान छात्र के भीतर विद्यमान होता है और शिक्षक का कार्य उसे प्रज्वलित करना है। उन्होंने पाठ्यक्रम से अनुपयोगी विषयवस्तु को हटाकर पठन-पाठन की प्रभावी प्रक्रिया को सुनिश्चित करने पर बल दिया। इसके साथ ही, उन्होंने शिक्षा और उद्योग के बीच समन्वय की आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि समग्र विकास संभव हो सके।
डॉ. सुदर्शन जैन का संदेश डॉ. सुदर्शन जैन ने शिक्षकों को नवीनतम औद्योगिक कार्यप्रणालियों का प्रशिक्षण देने के महत्व को रेखांकित किया, ताकि वे छात्रों को उद्योग जगत की जरूरतों के अनुसार तैयार कर सकें। उन्होंने बताया कि इससे छात्रों का उद्योग में प्रभावी योगदान सुनिश्चित होगा और उनका भविष्य उज्जवल बनेगा।
कार्यशाला में अन्य प्रमुख विचार कार्यशाला के दौरान परिषद के सदस्य डॉ. नीरज उपमन्यु, डॉ. वेंकट रमण, डॉ. निरंजन बाबू और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने अपने विचार प्रस्तुत किए। इस कार्यक्रम में डॉ. अंबर व्यास, डॉ. संजय चौहान, डॉ. श्रीकांत जोशी जैसे शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं ने भी चर्चा की।
उपस्थित गणमान्य व्यक्ति कार्यशाला में PCI के वरिष्ठ सदस्य डॉ. अतुल नासा, रजिस्ट्रार डॉ. अनिल मित्तल, डॉ. प्रतिमा तिवारी सहित फार्मेसी क्षेत्र के अनेक शिक्षाविद उपस्थित थे। साथ ही, इंडियन फार्माकोपिया कमीशन, सीडीएससीओ और डीडीसी के पदाधिकारी भी इस कार्यशाला में शामिल हुए। इंडियन फार्मासिस्ट एसोसिएशन (IPA) के प्रदेश अध्यक्ष सर्वेश्वर शर्मा ने जानकारी दी कि फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) और भारतीय शिक्षण मंडल (BVM) के संयुक्त तत्वावधान में एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन नई दिल्ली के नौरोजी नगर स्थित PCI के नवीन परिसर में किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य बी. फार्मा पाठ्यक्रम को उद्योग की आवश्यकताओं और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप संरेखित करना था, साथ ही फार्मेसी शिक्षा को वैश्विक मानकों के साथ सामंजस्यपूर्ण दिशा प्रदान करना था। कार्यशाला के मुख्य अतिथि भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय संगठन मंत्री श्री बी.आर. शंकरानंद और मुख्य वक्ता इंडियन फार्मास्यूटिकल एलायंस (IPA) के महासचिव डॉ. सुदर्शन जैन थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. मोंटू कुमार पटेल ने की। इस अवसर पर देशभर के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के फार्मेसी विशेषज्ञों के साथ-साथ भारतीय शिक्षण मंडल के विषय विशेषज्ञों ने भी सहभागिता की।
सेंट्रल इथोपिया के वाचेमो विश्वविद्यालय में आयोजित एक कॉन्फ्रेंस में की-नोट स्पीच देने के लिए कंप्यूटर वैज्ञानिक एवं अंतरराष्ट्रीय डिजिटल डिप्लोमेट प्रोफेसर डीपी शर्मा सेंट्रल इथोपिया की राजधानी होयसेना पहुंचे।
विश्वविद्यालय पहुंचने पर डॉ शर्मा ने देखा कि भारत और इथोपिया के संबंधों की प्रगाढ़ता को दर्शाने हेतु भारतीय तिरंगे के को भी स्वागत स्थल पर लगाया गया। कॉन्फ्रेंस के स्वागत भाषण में बोलते हुए विश्वविद्यालय के अध्यक्ष कुलपति डॉ दावित हैईसो ने कहा कि दुनियां तेजी से बदल रही है और ऐसे में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग समाज की प्रगति और उसके विकास में समान रूप से सुनिश्चित किया जाना चाहिए। उद्घाटन सत्र में बोलते हुए डॉ हैईसो ने कहा कि विश्वविद्यालय वैज्ञानिक एवं डिजिटल डिप्लोमेसी विशेषज्ञ हिज ऐक्सीलेंसी डॉ डीपी शर्मा के विचारों को सुनने के लिए उत्सुक है।
इस अवसर पर इथोपिया की परंपरागत वेशभूषा (खादी से बने हुए कोट एवं सॉल) पहना कर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ दावित हैईस ने डॉ शर्मा को सम्मानित किया। प्रमुख वक्ता के रूप में बोलते हुए डॉ शर्मा ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दुनियां के दो पहलू हैं। एक पहलू जो हमें 180 डिग्री पर दिखाई दे रहा है एवं जिसे हम पूरी तरीके से दोहन कर इस तकनीक का फायदा उठाने के लिए आतुर हैं तो वहीं एक दूसरा पहलू वह है जो 180 डिग्री पर हमें दिखाई नहीं दे रहा यानी वह एक डार्क जोन है जो टेक्नोलॉजिकल सिंगुलेरिटी के मार्ग पर जाता है जहां से लौटना मुश्किल है और आगे का रास्ता मानव सभ्यता से के लिए चुनौतियों से भरा हुआ है। इसमें सबसे बड़ी चुनौती दुनियां के दो ध्रुवों को संतुलित की है जहां पर कम ज्ञान वाले लोग अधिक ज्ञान वाली आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित मशीनों को नियंत्रित करने की कोशिश करेंगे मगर वे कर पाएंगे या नहीं यह भविष्य बताएगा। एक सबसे बड़ा खतरा है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से युक्त कंपनियों और देशों के द्वारा ज्ञान आधारित उपनिवेशीकरण की व्यवस्थाएं जिससे दुनिया को सावधान रहना होगा।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति एवं केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ मंडेफ्रौत भी भी उपस्थित थे। इस अवसर पर प्रख्यात प्रोफेसर यिसाक ने एग्रीकल्चर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग कर विस्तार से चर्चा की और बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से प्रिसीजन एग्रीकल्चर की दुनियां में एक नए युग की शुरुआत हुई है
अंतर्राष्ट्रीय डब्लूआईपीओ (वर्ल्ड इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी ऑर्गेनाइजेशन) ट्रॉफी भी मिली
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने किया सम्मानित
टेक्नोलॉजी कंपनी जियो प्लेटफॉर्म्स लिमिटेड (जेपीएल) को दो प्रतिष्ठित बौद्धिक संपदा पुरस्कार मिले हैं। एक ओर भारत सरकार ने जियो प्लेटफॉर्म्स को राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा पुरस्कार से सम्मानित किया। वहीं, प्रौद्योगिकी और नवाचार में असाधारण उत्कृष्टता के लिए वर्ल्ड इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी ऑर्गेनाइजेशन ने जियो प्लेटफॉर्म्स को ट्रॉफी से नवाजा है। नई दिल्ली में हुए एक समारोह में केंद्रिय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने यह सम्मान दिए।
वैश्विक स्तर पर कंपनी ने पिछले तीन वर्षों में 4 हजार से अधिक पेटेंट दायर किए हैं। इनमें से अधिकतर पेटेंट दूरसंचार, डिजिटल प्रौद्योगिकियों और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्रों में दाखिल किए गए हैं। आसान भाषा में कहें तो ज्यादातर पेटेंट 5जी, 6जी और एआई तकनीकों के विकास और उनसे संबंधित प्रौद्योगिकी क्षेत्रों से हैं।
जेपीएल के वरिष्ठ उपाध्यक्ष आयुष भटनागर ने कहा, “हम केवल तकनीकों पर ही काम नहीं कर रहे। हम ऐसी क्षमताएँ विकसित कर रहे है, जो 5जी, 6जी और एआई के माध्यम से राष्ट्रीय विकास में महत्वपूर्ण योगदान देंगी और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में हमें आगे खड़ा करेगी।