गड्ढे, गंदगी, गर्द और गंध के आईने में झांकता मैं गुलाबी शहर यानी मैं ही जयपुर हूं!

सड़क की खोज में सुबह से निकला और शाम को जब वापस लौटा तो मेरे चेहरे पर धूल थी, आंखों में जलन और दिल में मायूसी … Continue reading गड्ढे, गंदगी, गर्द और गंध के आईने में झांकता मैं गुलाबी शहर यानी मैं ही जयपुर हूं!