सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार का अनुपालन हलफनामा स्वीकार किया, एनसीआर में पटाखों पर सख्त प्रतिबंध लागू
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सुप्रीम कोर्ट ने 2008 के जयपुर सीरियल बम ब्लास्ट मामले में आरोपी मोहम्मद सरवर अजमी की जमानत की शर्तों में संशोधन किया है। यह फैसला 17 मई 2023 के क्रिमिनल अपील नंबर 1527-1531/2023 में दिए गए पहले के आदेश पर दायर एक आवेदन पर सुनवाई के बाद आया है।
संशोधित शर्तें:
सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति के. वी. विश्वनाथन की पीठ ने निर्देश दिया है कि:
- अजमी को आजमगढ़, उत्तर प्रदेश में अपने स्थायी पते का विवरण एंटी-टेररिस्ट स्क्वाड (ATS), जयपुर को देना होगा।
- अपने मोबाइल नंबर का खुलासा करना होगा, जिसे बिना पूर्व सूचना बदला नहीं जा सकता।
- उन्हें प्रत्येक सप्ताह आजमगढ़ के निकटतम पुलिस स्टेशन में उपस्थिति दर्ज करानी होगी।
इस संशोधन से पहले, अजमी को हर दिन सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक एटीएस कार्यालय, जयपुर में हाजिरी देने का निर्देश दिया गया था।
राज्य सरकार की आपत्ति:
राजस्थान सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता (एएजी) शिवमंगल शर्मा ने इस आवेदन का कड़ा विरोध किया। उनका कहना था कि अजमी के उत्तर प्रदेश में रहने से राजस्थान के अधिकारियों की उन तक पहुंच कम हो सकती है।
राज्य ने वैकल्पिक और सख्त निगरानी शर्तें लगाने का सुझाव दिया, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने आंशिक रूप से स्वीकार किया।
क्या है पूरा मामला?
अजमी के खिलाफ गंभीर आरोप हैं, जिनमें उन्हें ट्रायल कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी। हालांकि, राजस्थान उच्च न्यायालय ने उन्हें बरी कर दिया था। यह मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।
राजस्थान सरकार का पक्ष शिवमंगल शर्मा, वकील आमोग बंसल और वकील सोनाली गौर ने रखा। सुनवाई के दौरान, अजमी की ओर से उनकी उपस्थिति की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई, जिसमें यह साबित हुआ कि उन्होंने पहले की जमानत शर्तों का पालन किया है।
सुप्रीम कोर्ट का नोटिस:
सुप्रीम कोर्ट ने 13 दिसंबर 2024 को अजमी के आवेदन पर राजस्थान सरकार से स्पष्ट कारण पूछे थे कि जमानत शर्तों में संशोधन क्यों नहीं किया जाना चाहिए।
यह निर्णय न्यायालय द्वारा सुरक्षा और स्वतंत्रता के बीच संतुलन बनाने के प्रयास का हिस्सा है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि अजमी इन संशोधित शर्तों का पालन कैसे करते हैं और न्याय प्रक्रिया आगे कैसे बढ़ती है।